Posted on Nov 17, 2011 at 10:09pm IST
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर खुद सरकार के ही एक आला मंत्री ने सवाल खड़े कर दिए हैं। हर हिंदुस्तानी के लिए बनाए जा रहे यूनिक आईडी कार्ड योजना को गृह मंत्री पी चिदंबम पूरे नंबर नहीं दे रहे हैं। उन्होंने योजना आयोग को लिखी कई चिट्ठियों में साफ कहा है कि ये आईडी बनाने के लिए सुरक्षा मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
यूनिक आईडेन्टिफिकेशन नंबर यानि एक ऐसा नंबर जिससे हर भारतीय को अपनी पहचान मिलनी है। यूपीए ने इंफोसिस के चेयरमैन नंदन निलेकणी को ये प्रोजेक्ट सौंपा और उनके विभाग को सीधे योजना आयोग के साथ जोड़ दिया। करोड़ों खर्च कर यूआईडी प्रोजेक्ट शुरू हुआ लेकिन अब ये खटाई में पड़ सकता है।
यूनिक आईडेन्टिफिकेशन नंबर यानि एक ऐसा नंबर जिससे हर भारतीय को अपनी पहचान मिलनी है। यूपीए ने इंफोसिस के चेयरमैन नंदन निलेकणी को ये प्रोजेक्ट सौंपा और उनके विभाग को सीधे योजना आयोग के साथ जोड़ दिया। करोड़ों खर्च कर यूआईडी प्रोजेक्ट शुरू हुआ लेकिन अब ये खटाई में पड़ सकता है।
रजिस्ट्रार जनरल और गृहमंत्री पी चिदंबरम ने यूआईडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आईबीएन नेटवर्क के पास योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया को लिखी चिदंबरम की कई चिट्ठियां हैं। इनसे साफ है कि कैसे UIDN के लिए इक्ट्ठा डाटा को चिदंबरम भरोसेमंद नहीं मानते। वो मानते हैं कि ये डाटा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के मानकों पर खरा नहीं उतरता और इस प्रक्रिया से अवैध तरीके से रह रहे लोग या गैर-भारतीय भी अपना पहचान पत्र बना लेंगे। चिदंबरम ने कहा है कि इस चिंता को तत्काल UIDN पर बनी कैबिनेट कमेटी की बैठक में उठाया जाए।
जाहिर है चिदंबरम की चिंता को योजना आयोग ने हल्के से नहीं लिया और कहा 'योजना आयोग को पता है कि गृह मंत्रालय इस मसले पर क्या राय रखता है। हम दूसरे विभाग से राय मांग रहे हैं और फिर ये मामला यूआईडी पर बनी कैबिनेट कमेटी की बैठक में रखा जाएगा।'
गृह मंत्रालय का मानना है कि UID के तहत पंजीकरण बिना किसी पूर्व जांच के हो सकता है। UID ऐसे दस्तावेजों के जरिए भी बनाया जा सकता है जिसका कोई वेरिफिकेशन न हुआ हो, जैसे मुंबई का नागरिक दिल्ली में भी UID बनवा सकता है। UID के लिए इक्ट्ठा किए गए डाटा की कोई कानूनी वैधता नहीं है।
अब तक UID विभाग यानि आधार 12 करोड़ यूआईडी बना चुका है। इसपर करीब 470 करोड़ रुपए फूंके भी जा चुके हैं। अभी 6 करोड़ लोगों के पहचान पत्र और बनने हैं। उम्मीद है कि तमाम विवाद, जोखिम और आशंकाओं का जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा।
जाहिर है चिदंबरम की चिंता को योजना आयोग ने हल्के से नहीं लिया और कहा 'योजना आयोग को पता है कि गृह मंत्रालय इस मसले पर क्या राय रखता है। हम दूसरे विभाग से राय मांग रहे हैं और फिर ये मामला यूआईडी पर बनी कैबिनेट कमेटी की बैठक में रखा जाएगा।'
गृह मंत्रालय का मानना है कि UID के तहत पंजीकरण बिना किसी पूर्व जांच के हो सकता है। UID ऐसे दस्तावेजों के जरिए भी बनाया जा सकता है जिसका कोई वेरिफिकेशन न हुआ हो, जैसे मुंबई का नागरिक दिल्ली में भी UID बनवा सकता है। UID के लिए इक्ट्ठा किए गए डाटा की कोई कानूनी वैधता नहीं है।
अब तक UID विभाग यानि आधार 12 करोड़ यूआईडी बना चुका है। इसपर करीब 470 करोड़ रुपए फूंके भी जा चुके हैं। अभी 6 करोड़ लोगों के पहचान पत्र और बनने हैं। उम्मीद है कि तमाम विवाद, जोखिम और आशंकाओं का जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा।